कृषकों के लिए सोयाबीन की फसल (Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024) के लिए उपयोगी सलाह, वर्तमान में जिले में सोयाबीन की फसल की स्थिति संतोषजनक, जिला डाग्नोस्टिक टीम का जिले में सतत भ्रमण
Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024 मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में इस वर्ष खरीफ मौसम में 5.12 लाख हेक्टेयर में फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है। जिले में मुख्य रूप से सोयाबीन की फसल ली जाती है, जिसका लक्ष्य 5.06 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। चूंकि जिले में खरीफ मौसम में सोयाबीन की फसल ही मुख्य फसल है। जिले में सोयाबीन की फसल 60 से लेकर 65 दिन के अवस्था में हो गई है।
वर्तमान में सोयाबीन की फसल की स्थिति संतोषजनक है।जिला डायग्नोस्टिक टीम समय-समय पर क्षेत्र भ्रमण कर रही है। वर्तमान में फसल में हल्का-फुल्का कीटव्याधी का प्रकोप है। वर्तमान में फसल की आवश्यकता अनुसार वर्षा हो रही है। आज दिनांक तक जिले मे 616 मि.ली. वर्षा हो चुकी है। यदि कही पर जलभराव की स्थिति हो तो जल-निकास की उचित व्यवस्था करें।
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कृषि विभाग के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी सलाह (Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024)
Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024 कृषि विभाग के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि अपने खेत की सतत निगरानी करे खेत में जाकर 3-4 पौधों को हिलाकर देखें, इल्ली/कीट का प्रकोप तो नहीं है। यदि कहीं पर एक वर्गमीटर में 3 से 4 इल्लियां दिखाई दे तो कीटनाशक का स्प्रे करना चाहिए। जहां पर सोयाबीन की फसल घनी होने पर गर्डल बीटल (रिंग कटर) का प्रकोप संभव है।
इसकी पहचान पौधे पर दो रिंग बने हुए दिखाई देंगे व फसल लटकी हुई मुरझाई-सी दिखाई देगी। उसको तोड़कर खेत से बाहर फैंक दें। मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार आगामी दो-चार दिनों में जिले मे अच्छी वर्षा होने की संभावना है। किसानों को सलाह है कि जल-भराव से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए जल-निकासी की उचित व्यवस्था करें।
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कीटव्याधी का प्रकोप दिखे तो निम्नानुसार दवाईयों का उपयोग करें (Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024)
Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024 यदि कहीं पर कीटव्याधी का प्रकोप दिखे तो निम्नानुसार दवाईयों का उपयोग करें। तना मक्खी के लक्षण दिखाई देने पर पूर्व-मिश्रित कीटनाशक आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.) व थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्बड़ा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुझिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.8ई.सी. (333 मि.ली.) का छिड़काव करें।
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Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024 गर्डल बीटल (रिंग कटर)/ पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर/ तम्बाकू/चने की इल्ली) तथा रस चूसने बाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी/जसीड एवं तना छेदक कीट के लक्षण दिखाई देने पर प्रारंभिक अवस्था में ही इसके नियंत्रण हेतु एसिटेमीप्रीड 25% + बायफॅब्रिन 25% WG (250ग्रा./हे) या डेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1 ली. है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली / है) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 9.30%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) का छिडकाव पर्याप्त पानी की मात्रा (नेप्सेक स्प्रयेर या ट्रेक्टर चालित स्त्रयेर से 450 लीटर / हे पॉवर स्प्रेयर से 125 लीटर / हे न्यूनतम) का उपयोग करें।
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लगातार बारिश होने पर क्या करें (Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024)
Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024 लगातार बारिश होने वाले क्षैत्रो में एन्थ्राकनोज रोग की सम्भावना अधिक हो सकती है। अतः इसके प्रारंभिक लक्षण देखे जाने पर कृषकों को सलाह हे कि इसके नियंत्रण हेतु शीघ्रातिशीघ्र टेबुकोनाजोल 25.9 ई.सी.(625 मिली/हे) या टेबुकोनाजोल 10%+सल्फर 65% wg (1.25 किग्रा./हे) का फसल पर छिड़काव करें।
Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024 रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट रोग के लक्षण दिखाई देने पर सलाह है कि नियंत्रण हेतु अनुशंसित फफूंदनाशक पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20% wg (375-500 ग्रा.हे) या फ्लुक्सापग्रोक्साड 167 ग्राम प्रति लीटऱ़पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 ग्राम पर लीटर sc (300 एम.एल प्रति हेक्टेयर ) फसल पर छिड़काव करें।
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पीला मोजेक/सोयाबीन मोजेक रोग के लक्षण दिखने पर क्या करें (Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024)
Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024 पीला मोजेक/सोयाबीन मोजेक रोग के लक्षण दिखने पर प्रारंभिक अवस्था में ही रोगग्रस्त पौधें को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी/एफिड की रोकथाम हेतु एसिटेमीप्रीड बायफेंथ्रिन 25% wg (250 ग्रा./हे) का छिड़काव करें! इसके स्थान पर पूर्व-मिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्बड़ा सायहेलोथ्रिन 9.50% जेडसी (125 मिली/हेक्टे.) या बीटासायफ्लुझिऩइमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टे.) का भी छिड़काव किया जा सकता है।
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Soybean Ki Fasal Ki Jankari-2024 इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह हे कि सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टीकी ट्रेप लगायें। अधिक जानकारी के लिए अपने क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी/कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन एवं कृषि विभाग उज्जैन पर संपर्क कर सकते हैं।