Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi सोयाबीन 20 से 30 दिनों की हो जाए तो ये तीन काम कर लें, 1 बीघा में 8 क्विंटल सोयाबीन की पैदावार होगी, और सोयाबीन की फसल की ग्रोथ होगी और पैदावार भी बढ़ेगी
नमस्कार किसान भाईयों आज आपको यह बताएगें। कि आपकी Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi सोयाबीन की फसल जब 20 दिनों से लेकर 1 महीने की हो जाए तो आपको कौन-कौन से वह महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना है जिससे आपकी सोयाबीन की फसल की ग्रोथ बहुत अच्छी होगी, पौधा भी अच्छे से फल फूल जाएगा और आप की पैदावार बढ़ेगी।
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इस बातों का विशेष ध्यान रखें (Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi)
(Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi) जब सोयाबीन की फसल 20 से 25 दिनों की हो जाए। जैसे ही सोयाबीन 20 दिन की हो जाए तो सबसे पहले खरपतवार यहां पर पूरी तरह कंट्रोल हो जाना चाहिए। खरपतवार कंट्रोल करने के लिए अगर बारिश रुकी हुई है तो आप डोरे चलवाईये। ओर डोरे ज्यादा बार नही चलवाएं एक या दो बार ही चलावे।अगर बारिश ज्यादा दिन तक नही आए तो आप निदाई खुदाई करवा सकते हो। बस खरपतवार को कंट्रोल करना है। और डोरे चलाने का समय नही मिलता है।
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दवाई कब डाले ओर कितनी डाले (Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi)
किसान भाईयों अगर सोयाबीन (Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi) की फसल में दवाई डालना है तो इस बातों का विशेष ध्यान रखें। दवाई सोयाबीन की फसल लगभग 20 से 30 दिनों के बाद ही डालें। दवाई इतनी डाले जितनी उसके पैकेट पर या बाटल पर लिखी है। दवाई का डोज ज्यादा नही डाले। दवाई उतना ही रखना है जितना कम्पनी द्वारा बताया गया है। एक एकड़ में जो दवाई की मात्रा बताई गई उतनी ही डाले। दवाई डालते समय आपको कुछ सावधानियां रखना है।
- जब आप दवाई डाल रहे हो तब खेत में अच्छी नमी होना चाहिए।
- सूखे खेत में दवाई ना डाले।
- जिस दिन दवाई डाल रहे हो उस दिन बारिश नही आना चाहिए। मौसम देखकर दवाई डाले।
- बारिश के बाद जब थोड़ी धूप निकले, हवा चले तब दवा डालेंगे तो दवा असर अच्छा करेगी।
- अगर ज्यादा खरपतवार है तो आप अगर उदाहरण प्रति एकड़ आप 10 टंकी का का छिड़काव कर रहे हो तो आप उसे 12 टंकी कर दवाई नही बढाना है पानी बढाए।
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सोयाबीन की फसल में लगने वाले रोग
सोयाबीन की में लगने वाले रोग इस प्रकार है:-
- फसल बोने के बाद से ही फसल निगरानी करें। यदि सम्भव हो तो लाइट ट्रेप तथा फेरोमेन टूब का उपयोग करें।
- बीजोपचार आवश्यक है। उसके बाद रोग नियंत्रण के लिये फंफूद के आक्रमण से बीज सड़न रोकने हेतु कार्बेंडाजिम 1 ग्राम / 2 ग्राम थीरम के मिश्रण से प्रति किलो ग्राम बीज उपचारित करना चाहिये। थीरम के स्थान पर केप्टान एवं कार्बेंडाजिम के स्थान पर थायोफेनेट मिथाइल का प्रयोग किया जा सकता है।
- पत्तों पर कई तरह के धब्बे वाले फुंद जनित रोगों को नियंत्रित करने के लिये कार्बेंडाजिम 50 डब्ल्यू.पी. या थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्ल्यू.पी. 0.05 से 0.1 प्रतिशत से 1 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिये। पहला छिड़काव 30-35 दिन की अवस्था पर तथा दूसरा छिड़काव 40-45 दिन की अवस्था पर करना चाहिये।
- बैक्टीरियल पश्च्यूल नामक रोग को नियंत्रित करने के लिये स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या कासूगामाइसिन की 200 पीपीएम 200 मिग्रा दवा प्रति लीटर पानी के घोल और कॉपर आक्सीक्लोराइड 0.2 (2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में मिश्रण करना चाहिये। इसके लिये 10 लीटर पानी में 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन एवं 20 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड दवा का घोल बनाकर उपयोग कर सकते हैं।
- गेरुआ प्रभावित क्षेत्रों (जैसे बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी) में गेरुआ के लिये सहनशील जातियां लगायें तथा रोगों के प्रारम्भिक लक्षण दिखते ही 1 मि.ली. प्रति लीटर की दर से हेक्साकोनाजोल 5 ई.सी. या प्रोपिकोनाजोल 25 ई.सी. या ऑक्सीकार्बोजिम 10 ग्राम प्रति लीटर की दर से ट्रायएडिमीफान 25 डब्ल्यूपी दवा के घोल का छिड़काव करें।
- विषाणु जनित पीला मोजेक वायरस रोग व वड व्लाइट रोग प्राय: एफ्रिडस सफेद मक्खी, थ्रिप्स आदि द्वारा फेलते हैं। अत: केवल रोग रहित स्वस्थ बीज का उपयोग करना चाहिये एवं रोग फेलाने वाले कीड़ों के लिये थायोमेथेक्जोन 70 डब्ल्यू एस. से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित कर एवं 30 दिनों के अंतराल पर दोहराते रहें। रोगी पौधों का खेत से निकाल देवें। इथोफेनप्राक्स 10 ई.सी., 400 मि.ली. प्रति एकड़, मिथाइल डेमेटान 25 ईसी 300 मिली प्रति एकड़, डायमिथोएट 30 ईसी 300 मिली प्रति एकड़, थायोमिथेजेम 25 डब्ल्यू जी 400 ग्राम प्रति एकड़।
- पीला मोजेक प्रभावित क्षेत्रों में रोग के लिये ग्राही फसलों (मूंग, उड़द, बरबटी) की केवल प्रतिरोधी जातियां ही गर्मी के मौसम में लगायें तथा गर्मी की फसलों में सफेद मक्खी का नियमित नियंत्रण करें।
- नीम की निम्बोली का अर्क डिफोलियेटर्स के नियंत्रण के लिये कारगर साबित हुआ है।
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कौन सा खरपतवार है आपकी फसल में (Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi)
Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi सोयाबीन की फसल के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आपकी फसल में कौन सा खरपतवार है, चौड़ी पत्तों का खरपतवार है, सकडे पत्तों का खरपतवार है। या दोनों ही मिक्स है। इसके आप अपने खेत का निरीक्षण करें और देखें कि खरपतवार कौन सा है। निरीक्षण करने के बाद फिर उसी प्रकार की दवाई का उचित का चयन करके ही दवाई डाले। बस खरपतवार कंट्रोल होना चाहिए। ज्यादा दवाई ना डाले नही तो फसल को नुकसान हो सकता है। ओर अगर लंबे समय बारिश ना आए तो सोयाबीन की फसल में पानी देना अनिवार्य है।
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सोयाबीन की फसल में लगने वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए उपाय (Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi)
साफ़-सफ़ाई और अच्छे बीज- खरपतवारों को रोकने के लिए बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह से साफ़ करें और सड़ी कंपोस्ट गोबर की खाद डालें। साथ ही प्रमाणित बीज़ों का ही इस्तेमाल करें।
निराई-गुड़ाई- सोयाबीन की फसल की बुवाई के 20-45 दिन के भीतर खरपतवारों की वृद्धि अधिक होती है। ऐसे में उन्हें रोकने के लिए पहली निराई-गुड़ाई 20-25 दिन बाद और दूसरी 40-45 दिन बाद करनी चाहिए। निराई-गुराई के लिए व्हील हो या ट्रिवन व्हील हो जैसे प्रयोग किया जा सकता है।
केमिकल- खरपतवारों को रोकने के लिए जिन केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है उसे खरपतवारनाशी (हरबीसाइड) कहते हैं। साथ ही सोयाबीन की चारामार (खरपतवार नाशक) दवा भी कहा जाता है। इन केमिकल के इस्तेमाल से प्रति हेक्टेयर लागत कम आती है और समय की भी बचत होती है, लेकिन इनका इस्तेमाल करते समय मात्रा को लेकर सावधानी बरतें, वरना नुकसान भी हो सकता है। सोयाबीन की चारामार दवा यानी कि खरपतवारनाशी कई प्रकार के होते हैं। इसकी मात्रा और किसी तरह से इस्तेमाल करना है, इसके संबंध में आप किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के उपाय Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi
Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के उपाय इस प्रकार है:-
- अधिक उपज देने वाली जातियों (HYV) को उगाना ।
- उचित सस्य उपाय अपनाकर, जैसे — बुवाई की विधि एवं अन्तरण आदि ।
- उचित जल प्रबन्धन द्वारा खेत में उपयुक्त नमी बनाये रखकर ।
- बीजोपचार के लिये कल्चर का प्रयोग आवश्यक है ।
- ऊर्वरकों की उपयुक्त मात्रा का प्रयोग करना चाहिये ।
- रसायनों द्वारा पौधों की सुरक्षा कीटों व बीमारियों से करनी चाहिये ।
- फलियों के फटने से पूर्व फसल की कटाई कर लेनी चाहिये ।
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खरपतवार की दवाई डालते समय इन सावधानियां रखें Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi
Soybean Ki Adhik Paidavar Kaise Hogi खरपतवार की दवाई डालते समय इन सावधानियां इस प्रकार है:-
- सभी खरपतवारनाशी केमकिल के डिब्बों पर दिशा-निर्देश लिखे होते हैं। उन्हें ध्यान से पढ़ने के बाद ही इसका इस्तेमाल करें।
- समय पर छिड़काव करना ज़रूरी है। समय से पहले या बाद में छिड़काव करने पर फ़ायदे की बजाय नुकसान हो सकता है।
- इनका पूरे खेत में एक समान छिड़काव करना चाहिए।
- इनका छिड़काव तेज़ हवा के बीच नहीं करना चाहिए।
- छिड़काव करते समय शरीर, चेहरे व आंखों को पूरी तरह से ढंक लें। केमिकल शरीर के संपर्क में नहीं आना चाहिए।
- छिड़काव करने के बाद हाथ और मुंह अच्छी तरह से साबुन से धो लें।
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