Monday, June 17, 2024
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Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 उज्जैन में पंचकोशी यात्रा 15 अप्रैल 2023 से शुरु होगी, जानिए इसका महत्व

Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 उज्जैन में पंचकोशी यात्रा 15 अप्रैल 2023 से प्रारम्भ होगी, यात्रा का समापन 19 अप्रैल को होगा, पंचकोशी यात्रियों की व्यवस्था बेहतर हो, कलेक्टर ने सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये

Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 मध्यप्रदेश के उज्जैन में बाबा महाकाल की नगरी पंचकोशी यात्रा 15 अप्रैल 2023 से प्रारम्भ होगी। पंचकोशी यात्रा का समापन 19 अप्रैल 2023 को होगा। उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने पंचकोशी यात्रा के सम्बन्ध में बैठक लेकर सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि पंचकोशी यात्रा एक बड़ा त्यौहार है, इसलिये सौंपे गये दायित्व का निर्वहन अपने-अपने मातहतों को जिम्मेदारी सौंपी जाये। पंचकोशी यात्रियों के लिये व्यवस्थाएं बेहतर करें। कलेक्टर ने एडीएम को निर्देश दिये कि बैठक में दिये गये निर्देशों का पालन हेतु 15 दिन के बाद पुन: बैठक ली जाये।

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पंचकोशी पड़ाव एवं उप पड़ाव पर क्या व्यवस्था रहेगी (Panchakoshi Yatra Ujjain-2023)

Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने पंचकोशी यात्रियों के लिये पड़ाव एवं उप पड़ाव पर की जाने वाली पेयजल, प्रकाश, साफ-सफाई, टेन्ट आदि की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। कलेक्टर ने विद्युत, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, पुलिस, राजस्व, जनपद, होमगार्ड, स्वास्थ्य, पीएचई, दुग्ध संघ, जनपद पंचायत सीईओ, शिक्षा, खाद्य, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय, होमगार्ड, महिला बाल विकास, जिला पंचायत आदि के अधिकारियों को पंचक्रोशी यात्रा के पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों पर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। कलेक्टर ने यात्रा के दौरान यात्रा मार्ग, पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों पर निजी संस्थाओं के द्वारा किये जाने वाले भण्डारों के संचालकों से समन्वय कर उन्हें आवश्यक हिदायत दी जाये।

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पंचकोशी यात्रा अनादिकाल से प्रचलित है (Panchakoshi Yatra Ujjain-2023)

Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 उल्लेखनीय है कि पंचकोशी यात्रा अनादिकाल से प्रचलित थी, जिसे राजा विक्रमादित्य ने प्रोत्साहित कर 14वी शताब्दी से चली आ रही है। स्कंदपुराण के अनुसार अनन्तकाल तक काशीवास की अपेक्षा वैशाख मास में मात्र पांच दिवस अवंतिवास का पुण्य फल अधिक है। वैसाख कृष्ण दशमी पर शिप्रा स्नान व नागचंद्रेश्वर पूजन के पश्चात यात्रा प्रारम्भ होती है, जो 118 किमी की परिक्रमा करने के बाद कर्क तीर्थवास में समाप्त होती है और तत्काल अष्टतीर्थ यात्रा आरम्भ होकर वैशाखा कृष्ण अमावस्या को शिप्रा स्नान के पश्चात पंचकोशी यात्रा का समापन होता है।

Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 उज्जैन का आकार चौकोर है। क्षेत्र रक्षक देवता श्री महाकालेश्वर का स्थान मध्य बिन्दु में है। इस बिन्दु के अलग-अलग अन्तर से मन्दिर स्थित है, जो द्वारपाल कहलाते हैं। इनमें पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर, पश्चिम में बिल्वकेश्वर तथा उत्तर में दुर्देश्वर महादेव जो चौरासी महादेव मन्दिर श्रृंखला के अन्तिम चार मन्दिर हैं।

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पंचकोशी यात्रा का महत्व (Panchakoshi Yatra Ujjain-2023)

Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 आप ने सुना होगा कि हिंदू धर्म के शास्त्रों में पंचकोशी यात्रा का धार्मिक पख से काफी महत्व है। जिन लोगों की नहीं पता उन्हें बता दें कि वैशाख मास में मुख्यरूप से महाकाल की नगरी उज्जैन से पंचक्रोशी यात्रा शुरु होती है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि वैशाख माह जैसा शुभ कोई अन्य मास नहीं है। सतयुग के जैसा कोई और युग नहीं, वेद के जैसा कोई अन्य धर्म शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई दूसरा तीर्थ नहीं। मान्यता है कि वैशाख में पंचक्रोशी यात्रा करने से और भगवान विष्णु की उपासना से अज्ञान दूर होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आख़िर उज्जैन की पंचकोशी यात्रा का क्या धार्मिक महत्व है और इस यात्रा का वैशाख से क्या संबंध है।

Panchakoshi Yatra Ujjain-2023

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Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 अगर आप भी इन बातों से अंजान है तो चलिए हम आपको बताते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र पूर्णिमा से वैशाख महीना के शुरुआत हो जाती है। कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख मास का महत्व कार्तिक और माघ मास के समान है। इन्हीं महीनों की ही तरह इस मास में भी जल दान और कुंभ दान का खास महत्व होता है। इतना ही नहीं बल्कि वैशाख मास स्नान का महत्व पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि जो श्रद्धालु पूरे वैशाख स्नान का लाभ नहीं ले पाते वे इसके अंतिम पांच दिनों में पूरे मास के स्नान का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। पंचकोशी यात्रा में सभी ज्ञात-अज्ञात देवताओं की प्रदक्षिणा का पुण्य इस पवित्र मास में मिलता है। उज्जैन की प्रसिद्ध पंचकोशी यात्रा में आने वाले देव, पिंगलेश्वर, कायावरुनेश्वर, विलवेश्वर, धुद्धेश्वर और नीलकंठेश्वर हैं। वैशाख मास और ग्रीष्म ऋतु के आरंभ होते ही शिवालयों में गलंतिका वंदन होता है। इसी समय पंचकोशी यात्रा शुरू होती है। कहते हैं कि पंचकोशी यात्री हमेशा निर्धारित तिथि और दिन से पहले ही यात्रा पर निकाल पड़ते हैं। परंतु ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि तय तिथि, तय दिन और पुण्य मुहूर्त के अनुसार ही पंचकोशी यात्रा और तीर्थ स्थलों पर की गई पूजा-अर्चना करने का पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा श्रद्धालु उज्जैन की नगनाथ की गली स्थित पटनी बाज़ार स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर से लेकर 118 किलोमीटर की यात्रा करते हैं।

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118 किलोमीटर की पांच दिवसीय पंचकोशी यात्रा (Panchakoshi Yatra Ujjain-2023)

Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव की दूरी 12 किमी, पिंगलेश्वर से कायावरोहणेश्वर पड़ाव की दूरी 13 किमी, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव की दूरी 21 किमी, नलवा उप पड़ाव से बिल्केश्वर पड़ाव अंबोदिया की दूरी 6 किमी, अंबोदिया पड़ाव से कालियादेह उप पड़ाव की दूरी 21 किमी, कालियादेह से दुर्देश्वर पड़ाव जैथल की दूरी 12 किमी, दुर्देश्वर पड़ाव जैथल से उंडासा की दूरी किमी, उंडासा उप पड़ाव से शिप्रा घाट की दूरी 12 किमी है।

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बैठक में उपस्थित अधिकारीगण (Panchakoshi Yatra Ujjain-2023)

Panchakoshi Yatra Ujjain-2023 बैठक में उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम जिला पंचायत सीईओ सुश्री अंकिता धाकरे, एडीएम संतोष टैगोर, अपर कलेक्टर एवं प्रशासक संदीप सोनी, स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक, उज्जैन व घट्टिया एसडीएम तथा सम्बन्धित विभागों के जिला अधिकारी उपस्थित थे।

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