Doppler Radar Network-2023 क्या है डॉपलर रेडार, इसके बारे में जानिए सबकुछ, मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए देश भर में बिछाया जा रहा है डॉपलर रेडार नेटवर्क, साल 2025 तक पूरा देश डॉप्लर रेडार की जद में होगा, वर्ष 2013 में 15 तो 2023 में 37 हुई डॉपलर रेडार की संख्या
Doppler Radar Network-2023 मौसम पूर्वानुमान प्रणाली को मजबूत करने और अपने मौसम संबंधी सेवाओं को और बढ़ाने के उद्देश्य से इस साल भारतीय मौसम विभाग ने खास तैयारी की है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि साल 2025 तक पूरा देश डॉप्लर रेडार की जद में होगा। उन्होंने बताया कि खराब मौसम को लेकर जो भविष्यवाणी IMD ने की है उसमें पिछले 9 साल में लगभग 40 फीसदी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिन में मौसम विभाग की भविष्यवाणी और सटीक होगी। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि आखिर यह डॉप्लर रेडार क्या है जिसके बाद मौसम विभाग की कोई भी भविष्यवाणी फेल साबित नहीं होगी। आइए सरल शब्दों में हम आपको समझाते हैं और आपके ज्ञान के सागर को और बढ़ते हैं।
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समझिए क्या है डॉप्लर रेडार जिस पर टिकी है सबकी निगाहें (Doppler Radar Network-2023)
Doppler Radar Network-2023 डॉप्लर रडार की मदद से मौसम विभाग को 400 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम बदलाव के बारे में सटीक जानकारी मिल पाएगी। लेकिन कैसे? यह सवाल भी आपके मन में होगा। चलिए बताते हैं। असल में रेडार डॉप्लर प्रभाव का इस्तेमाल कर साइज में सबसे छोटी दिखने वालीं जिसे हम अतिसूक्ष्म तरंगे कह सकते हैं को भी कैच कर लेता है। जब यही तंरगे किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं तब यह रडार उनकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है। इसके साथ यह हवा में तैर रहे माइक्रोस्कोपिक पानी की बूंदों को पहचानने के साथ यह उनकी दिशा का भी पता लगाने में सक्षम है। डॉप्लर रडार बूंदों के आकार, उनके रफ्तार से संबंधित जानकारी को हर मिनट अपडेट भी करता है। इस डेटा के अधार पर यह पता कर पाना मुश्किल नहीं होता है कि किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा। इससे IMD की भविष्यवाणी की सटीकता में काफी अंतर आएगा।
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डॉपलर सिद्धांत पर करता है काम (Doppler Radar Network-2023)
Doppler Radar Network-2023 यह डॉपलर सिद्धांत पर काम करता है। इस सिद्धांत के आधार पर रेडार को एक पैराबोलिक डिश एंटीना और एक फोम सैंडविच स्फेरिकल रेडोम का उपयोग किया गया है। इसका उपयोग कर मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी की सटीकता में सुधार के लिए डिजाइन किया गया है। (Doppler Radar Network-2023) डॉपलर वेदर रेडार में बारिश की तीव्रता, एयर ग्रेडिएंट और वेग को मापने के लिए उपकरण लगे होते हैं। यह धूल के बवंडर की दिशा के बारे में सूचित करते हैं। आईएमडी के अधिकारियों ने बताया कि यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण टूल के रूप में साबित होगा। इसकी मदद से राज्यों में आने वाली आपदाओं को टालने में भी मदद मिलेगी। खासकर उन राज्यों में जहां गरज, आंधी के साथ तूफान और भारी बरसात की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। वर्ष 2022 के डेटा के अनुसार, गरज के साथ बिजली की घटनाओं के चलते सबसे ज्यादा 1285 जिंदगियां गई हैं। वहीं बाढ़ और भारी बरसात के चलते 835 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
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2013 में थे 15 अब 2023 में 37 डॉपलर रेडार (Doppler Radar Network-2023)
Doppler Radar Network-2023 केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह मौसम विभाग के 148वें स्थापना दिवस के मौके पर डॉपलर रडार के बारे में खास जानकारी दी। जितेंद्र सिंह ने बताया कि देश में डॉपलर रडार की संख्या 2013 में जहां मात्र 15 थी तो वहीं 2023 में यह बढ़कर 37 पर पहुंच गया है। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले 2 से 3 साल में देश में 25 और रेडार लगाए जाएंगे। जिसके बाद संख्या बढ़कर 62 हो जाएगी। सिंह ने बताया कि 2025 तक पूरे देश में डॉपलर रेडार नेटवर्क के अंदर आ जाएगा। IMD ने रविवार को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में 4 डॉपलर मौसम रेडार (Doppler Radar Network-2023) चालू है।