Sunday, June 16, 2024
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Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 बाँस की खेती से समृद्धि की ओर बढ़ता किसान, जानिए पूरी प्रोसेस

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 किसानों के लिए बाँस की खेती होगी वरदान, बाँस की खेती से मिलता है लाखों का मुनाफा, देवास में एक हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में किया बाँस-रोपण किया

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 मध्यप्रदेश के देवास जिले में किसानों के लिए वरदान साबित होगी बाँस की खेती‌। “एक जिला-एक उत्पाद” में देवास जिले में किसानों को प्रेरित कर एक हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में कटंग बाँस का रोपण किया गया है। मनरेगा से वन क्षेत्रों में बाँस रोप कर 46 महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। बाँस रोपण के लिए किसानों को प्रेरित करने एवं स्व-सहायता समूह के लिए अनुदान की योजना भी लाई गई है, जिससे अधिक से अधिक किसान कम लागत में इससे जुड़ सके और अपनी आय बढ़ा सकें।

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किसानों के लिए योजना में 50 प्रतिशत की सब्सिडी (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 मध्‍यप्रदेश राज्य बाँस मिशन द्वारा बाँस के एक पौधे की खरीदी से लेकर बाँस लगाई एवं उसके बड़े होने तक सुरक्षा सहित 240 रूपये की लागत का अनुमान लगाया गया है। किसान द्वारा अपनी निजी भूमि पर बाँस रोपण करने पर कुल लागत का 50 प्रतिशत यानि 120 रूपये प्रति पौधा किसानों को अनुदान (सब्सिडी) के रूप में दिया जाएगा। देवास जिले में विकासखण्‍ड देवास, सोनकच्छ, टोंकखुर्द, बागली, कन्‍नौद और खातेगाँव के 448 किसानों ने 541 हेक्‍टेयर भूमि पर 2 लाख 16 हजार 281 बाँस का रोपण किया है।

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स्व-सहायता समूह के लिए योजना (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 वन क्षेत्र में स्व-सहायता समूह की मदद से मनरेगा योजना में बाँस रोपण कराया गया है। योजना में 19 स्‍थानों पर 325 हेक्‍टेयर भूमि पर 2 लाख 3 हजार 125 बाँस रोपे गये हैं। पौध-रोपण एवं उसकी सुरक्षा पर होने वाला पूरा व्यय मनरेगा योजना में वहन किया जाएगा। पाँच साल बाद बाँस के कटाई से होने वाली आय को उस क्षेत्र की ग्राम वन समिति एवं सम्बंधित स्व-सहायता समूह के मध्य 20:80 के अनुपात में साझा किया जायेगा। साथ ही बाँस को बेचने लिए स्व- सहायता समूह एवं देवास स्थित बाँस फैक्ट्री आर्टिसन एग्रोटेक लिमिटेड के मध्य अनुबंध हुआ है। जिले में वन मंडल क्षेत्र के सभी परिक्षेत्रों में केम्पा योजना में भी 22 स्‍थान पर 595 हेक्‍टेयर भूमि पर 2 लाख 38 हजार बाँस रोपे गये हैं।

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बाँस रोपण को बनाया लक्ष्य (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 देवास में आर्टिसन एग्रोटेक बाँस फैक्ट्री से किसानों एवं स्व-सहायता समूह के एम.ओ.यू. द्वारा खरीदने एवं बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध है। वर्ष 2023-24 में सम्पूर्ण जिले में विभिन्न योजनाओ में शासन से अधिक से अधिक बाँस रोपण का लक्ष्य प्राप्त कर उसकी तैयारी प्रांरभ कर दी गई है।

बाँस की खेती ही क्यों करें (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 बाँस रोपण राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है। एक बार बाँस के पौधे लगाने के बाद हर साल लगने वाली, खाद, सिंचाई, जुताई एवं पानी के खर्च से किसान को राहत मिलती है। रोपण से 5 वर्ष तक किसान अपनी सामान्य खेती इन्टर क्रॉपिंग विधि से कर सकता है और किसान को बाँस कटाई तक उपज का कोई नुकसान नहीं होगा।

बाँस के विभिन्न उत्पाद (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 बाँस से बनने वाले उत्पाद जैसे- फर्नीचर, सीढ़ी, चटाई, टोकरी सजावटी सामान, निर्माण कार्य, कृषि क्षेत्र, पेपर उद्योग आदि में बाँस की लगातार माँग बढ़ने से किसानों को अधिक आमदनी होगी।

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022

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पर्यावरण के लिए अनुकूल है बाँस (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 बाँस में प्रकाशीय श्वसन तेजी से होता है। निकली हुई कार्बन डाई-ऑक्साइड का पुनः उपयोग कर लिया जाता है। बाँस में 5 गुना अधिक कार्बन डाई-ऑक्साइड के अवशोषण की क्षमता होती है, वही बाँस का एक हेक्टेयर जंगल एक वर्ष में एक हजार टन का अवशोषण कर लेता है। इससे ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव कम होता है। बाँस की जड़े कटाई के बाद भी कई दशक तक मिट्टी को बांधे रखती है और मिट्टी के कटाव को रोकती है। बाँस से अन्य पेड़ों की तुलना में दस गुना अधिक उत्पाद बनाये जा सकते हैं, जिससे अन्य पेड़ों पर निर्भरता कम होती है।

बाँस के खेती के लिए बाँस की उन्नत किस्में (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 बाँस के खेती के लिए बाँस की उन्नत किस्में इस प्रकार है :-

  • बंबूसा बालकोआ
  • बम्बूसा तुलदा
  • डेंड्रोकलामस सख्त
  • मेलोकन्ना बम्बूसोइड्स
  • थ्रोस्टैचिस ओलिवेरि
  • डेंड्रोकलामस हैमिल्टन
  • बंबूसा वल्गरिस
  • बम्बूसा नूतन
  • बंबूसा बम्बोस
  • बंबूसा पॉलीमोरफा
  • बंबूसा पलिडा
  • ऑक्सीटेनेंथेरा स्टॉक्सि
  • डेंड्रोकालमुस गिगेंटस
  • स्चिज़ोस्ताच्यम डुलोआ
  • डेंड्रोकलामस ब्रांडिसि
  • ओचलैंड्रा

बाँस की खेती में लगने वाले रोग (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 बाँस की खेती में लगने वाले रोग इस प्रकार है :-

  • दीमक
  • तराजू
  • एफिड्स
  • माइलबग्स
  • बीटल कारों

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बाँस की खेती के लिए सरकार के द्वारा सब्सिडी (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 बाँस की खेती में ज्यादा खर्चा हो रहा है, तो केंद्र और राज्य सरकार किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करेंगी। बांस की खेती के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि की बात करें तो इसमें 50 प्रतिशत खर्च किसानों द्वारा और 50 प्रतिशत लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी।

उदाहरण- बाँस की खेती के लिए 3 साल में औसतन 240 रुपए प्रति पौध का खर्च आता है। जिसमें सरकार द्वारा 120 रुपए प्रति पौध हेतु आर्थिक अनुदान दिया जाएगा। सरकार द्वारा दिए जाने वाले 50 प्रतिशत अनुदान में 60 प्रतिशत केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इस प्रकार किसानों पर पड़ने वाले खर्चों का बोझ काफी हद तक कम होगा ही। साथ ही, देशभर में बांस की खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।

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बाँस से संबंधित प्रश्नोत्तर (Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022)

Bans Ki Kheti Kaise Karen-2022 बाँस से संबंधित प्रश्नोत्तर इस प्रकार है :-

प्रश्न-1 क्या बाँस एक पेड़ है?
उत्तर- बाँस पेड़ नही एक घास है, जो तेजी से बढ़ती है, और आमतौर पर लकड़ी की होती है।

प्रश्न-2 क्या बाँस और रतन (बेंत) एक ही हैं?
उत्तर- नहीं, रतन और बाँस अलग-अलग वनस्पति परिवारों से संबंधित हैं, अलग-अलग गुण हैं, और अलग-अलग तरीकों से प्रचारित और उगाए जाते हैं। रतन एक हथेली है, आमतौर पर एक पर्वतारोही और ठोस, जबकि बांस एक घास है, और आमतौर पर एक खोखला सिलेंडर है। बाँस आसानी से और बहुत जल्दी बढ़ता है। बेंत एक पर्वतारोही है, इसके लिए एकांत वातावरण की आवश्यकता होती है, और इसकी गर्भधारण अवधि लंबी होती है। बाँस के सभी पौधे, जड़ से लेकर कल्म और पत्तियों तक, विभिन्न तरीकों से उपयोग किए जाते हैं। मूलतः रतन के पौधे के तने का ही प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न-3 मैं बाँस को फैलने से कैसे रोक सकता हूँ?
उत्तर- बाँस एक प्राकृतिक प्रसारक है क्योंकि प्रकंद पोषक स्रोतों की ओर बढ़ते हैं। एक सरल रोकथाम विधि एक खाई खोदना है, अधिमानतः झुरमुट के मूल से कम से कम 3-4 मीटर की दूरी पर। खाई इतनी गहरी होनी चाहिए कि प्रकंद के फैलाव को रोक सके, सामान्यतया मध्यम व्यास की प्रजातियों के लिए कम से कम 90 सेमी। घर के बगीचों के लिए, पॉलीथिन शीट का उपयोग प्रकंद, या एक धातु अवरोध को घेरने के लिए किया जा सकता है।

प्रश्न-4 बाँस की गोली क्या है?
उत्तर- बाँस की टहनी उस समय काटा गया एक युवा कल्म है, या मिट्टी की सतह के ऊपर दिखाई देने के कुछ ही समय बाद। इस अवस्था में यह खाने के लिए पर्याप्त नरम होता है। अकेला छोड़ दिया, यह तेजी से एक वुडी कल्म में विकसित होगा। बांस के अंकुर पोषण और फाइबर का एक मूल्यवान स्रोत हैं, और पूरी दुनिया में पसंद किए जाते हैं।

प्रश्न-5 क्या भारत में हर जगह बाँस उगता है?
उत्तर- हां, बाँस देश के हर राज्य में और हर क्षेत्र में, बेहद गर्म और ठंडे रेगिस्तानों को छोड़कर, उदाहरण के लिए पश्चिमी राजस्थान और लद्दाख में स्वाभाविक रूप से उगता है।

प्रश्न-6 भाग्यशाली बाँस क्या है?
उत्तर- ‘लकी बाँस’ एक लोकप्रिय पौधा है, जो दुकानों और दुकानों में तेजी से उपलब्ध है। संयंत्र शायद पश्चिम अफ्रीकी मूल का है। इसे बनाए रखना आसान है। यह कुछ इंच पानी में मिट्टी के बिना पनपता है, और इसे बढ़ने के लिए केवल थोड़ी सी धूप की आवश्यकता होती है। हालांकि यह बांस नहीं है। यह लिली परिवार का एक सदस्य ड्रैसेनिया सैंडरियाना है।

प्रश्न-7 क्या मैं बाँस की हेज उगा सकता हूं?
उत्तर- हां, बाँस का उपयोग परंपरागत रूप से स्क्रीन और हेजेज और यहां तक ​​कि विंडब्रेक बनाने के लिए किया जाता रहा है। बंबुसा मल्टीप्लेक्स हेजेज के लिए एक अच्छा बांस है। यह एक मध्यम आकार का बाँस है जिसमें बारीकी से पतले कल्म होते हैं, और बहुत घनी वृद्धि की आदत होती है। इसे उगाना और बनाए रखना आसान है, और छंटाई के लिए अच्छी प्रतिक्रिया देता है।

Soyabean Ki Fasal Kab Or Kaise Karen-2022

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